My love
Don't consider it my personal experience, but from all the poems i wrote, i love this most. :)
क्यों हजारों गोपियों के बाद भी, है राधा को कान्हा से प्यार .ना देखने के बाबजूद, है मीरा कृष्ण पर न्योछार
अग्नि-परीक्षा के बाद भी, ना कम हुआ सीता का प्यार
बड़ी असमंजस मे हूँ मै, क्या यही है प्यार?
गर यही है प्यार, तो क्या मेरा प्यार प्यार नहीं?
जान दे सकती हूँ उसके लिए, इतबार है पर अँधा-विश्वास नहीं.
जान ले भी सकती हूँ कभी, पर अग्नि-परीक्षा स्वीकार नहीं.
क्या मै गलत हूँ, या हमेशा से दिए गए ये उदाहरण.
पांच पतियों के बाद भी, हुआ द्रौपदी का चीर- हरण.
चाहती हूँ उतना ही सम्मान, जो मैंने तुमको दिया
है मुझमे उतना ही अभिमान, जितना तुममे पिया
चाहती हूँ मै भी तुम्हे उतना, जितना राधा ने कृष्ण या सीता ने राम को किया.
पर क्या सहना होगा मुझे भी, जो है उनने है सहा?
क्या तभी मेरा प्यार अमर कहलायेगा, या सिर्फ प्यार ही रह जाएगा?
या सिर्फ प्यार ही रह जाएगा?
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ReplyDeleteVery nicely written. Or is it copied from Somewhere
ReplyDelete...Najmul
very well said
ReplyDelete@Najmul : Its purely mine. :)
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